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Buddha Purnima : जाने क्यों मनाते है बुद्ध पूर्णिमा? क्या है पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त…

Anjali Kumari
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Buddha Purnima : बुद्ध पूर्णिमा  को हम बुद्ध जयंती भी कहते है । भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima 2021) के दिन हुआ था जिसके कारण ये त्यौहार भी वैशाख पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है । यह त्यौहार हिंदू और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बहुत खास है। ऐसी मान्यता है कि बुद्ध भगवान श्री हरि विष्णु के 9वें अवतार थे।

बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास (Buddha Purnima)

इतिहास के जानकारों के अनुसार, भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल के कपिलवस्तु के पास लुम्बिनी में हुआ था। कपिलवस्तु उस समय से शाक्य महाजनपद की राजधानी थी। लुम्बिनी वर्तमान में दक्षिण मध्य नेपाल का क्षेत्र है। इसी जगह पर तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने भगवान बुद्ध के प्रतीक के तौर पर एक स्तम्भ बनवाया था। इतिहासकारों ने ये भी बताया है कि बुद्ध शाक्य गोत्र के थे और उनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ था। इनके पिता का नाम शुद्धोधन था, जो शाक्य गण के प्रमुख थे और माता का नाम माया देवी था। सिद्धार्थ के जन्म से 7 दिन बाद ही उनकी माता का निधन हो गया था। इसके बाद सिद्धार्थ की परवरिश उनकी सौतेली मां प्रजापति गौतमी ने किया था।

बुद्ध धर्म का संस्थापक

भगवान बुद्ध को बुद्ध धर्म का संस्थापक माना जाता है । उन्होंने वर्षों तक कठोर तपस्या और साधना की, जिसके बाद उन्हें बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई, उनको बुद्धत्व की प्राप्ति हुई। फिर उन्होंने अपने ज्ञान से इसे पूरे संसार को आलोकित किया। अंत में कुशीनगर में वैशाख पूर्णिमा को उनका निधन हो गया। भगवान बुद्ध ने महज 29 वर्ष के आयु में संयास धारण कर लिया था । उन्होंने बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे 6 साल तक कठिन तप किया था। वह बोधिवृक्ष आज भी बिहार के गया जिले में स्थित है। बुद्ध भगवान ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था। भगवान बुद्ध 483 ईसा पूर्व में वैशाख पूर्णिमा के दिन ही पंचतत्व में विलीन हुए थे। इस दिन को परिनिर्वाण दिवस कहा जाता है।

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क्यों मनाते है बुद्ध पूर्णिमा?

भगवान बुद्ध राजा थे परन्तु उन्होंने कभी भी राजपाठ या धन, दौलत के बारे में नही सोचा । जब उन्हें अपने जीवन में हिंसा, पाप और मृत्यु का पता चला , तब उन्होंने मोह-माया का त्याग कर दिया और अपना परिवार छोड़कर सभी जिम्मेदारियों से मुक्ति ले कर । सत्य की खोज में निकल पड़े। जिसके बाद उन्हें सत्य का ज्ञान हुआ। वैशाख पूर्णिमा की तिथि का भगवान बुद्ध के जीवन चक्र की प्रमुख घटनाओं से विशेष संबंध है, इसलिए बौद्ध धर्म में प्रत्येक वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।

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