बड़ी मशहूर कहावत है “स्वस्थ रहे शरीर तो संभव है हर काम, स्वास्थ्य यदि साथ हो तो तय करे हर मुकाम”। तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में अधिकतर लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति पूरा ध्यान नहीं दे पाते। बस हमेशा पैसे और रोजी – रोटी के लिए लगे रहते है और जिसके लिए हम पैसे कमाते है उसे भूल ही जाते है। हम यह सब अपनी हेल्थ के लिए ही करते है, उसी के लिए कमाते है, फिर भी अपनी हेल्थ के प्रति हम लापरवाह बने फिरते है।
अपने स्वास्थ्य के प्रति ध्यान दें.. और कुछ बातों का हमेशा ध्यान रखें
- भोजन के पश्चात स्नान स्नान करने से पाचन शक्ति मंद हो जाती है। भोजन के तुरंत बाद स्नान न करें।
- भोजन के तुरंत बाद मैथुन, बहुत ज्यादा परिश्रम करना एवं सो जाना पाचनशक्ति को नष्ट करता है। पेट बाहर निकलने का सबसे बड़ा कारण खड़े होकर या कुर्सी मेज पर बैठ कर खाना और तुरंत बाद पानी पीना है। भोजन सदैव जमीन पर बैठ कर करें। ऐसा करने से आवश्यकता से अधिक खा नहीं पाएंगे। भोजन करने के बाद पानी पीना कई गंभीर रोगों को आमंत्रण देना है।
- आजकल बढ़ रहे चर्म रोगों और पेट के रोगों का सबसे बड़ा कारण दूधयुक्त चाय और इसके साथ लिया जाने वाला नमकीन है। इनसे बचें!
- कसी हुई टाई बाँधने से आँखों की रोशनी पर नकारात्मक प्रभाव होता है। अधिक झुक कर पढने से फेफड़े,रीढ़,और आँख की रौशनी पर बुरा असर होता है।
- भोजन के प्रारम्भ में मधुर-रस (मीठा), मध्य में अम्ल, लवण रस (खट्टा, नमकीन) तथा अन्त में कटु, तिक्त, कषाय (तीखा, चटपटा, कसेला) रस के पदार्थों का सेवन करना चाहिए। भोजन के बाद हाथ धोकर गीले हाथ आँखों पर लगायें। यह आँखों को गर्मी से बचाएगा।
- नहाने के कुछ पहले एक गिलास सादा पानी पियें। यह हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से बहुत हद तक दूर रखेगा। नहाने की शुरुवात सर से करें। बाल न धोने हो तो मुह पहले धोये। पैरों पर पहले पानी डालने से गर्मी का प्रवाह ऊपर की ओर होता है और आँख मस्तिष्क आदि संवेदन शील अंगो को क्षति होती है।
- नहाने के पहले सोने से पहले एवं भोजन कर चुकने के पश्चात मूत्र त्याग अवश्य करे। यह अनावश्यक गर्मी, कब्ज और पथरी से बचा सकता है। कभी भी एक बार में पूर्ण रूप से मूत्रत्याग न करें बल्कि रूक रुक कर करें। यह नियम स्त्री पुरुष दोनों के लिए है ऐसा करके प्रजनन अंगों से सम्बंधित शिथिलता से आसानी से बचा जा सकता है।
- खड़े होकर मूत्र त्याग से रीढ़ की हड्डी के रोग होने की सम्भावना रहती है। इसी प्रकार खड़े होकर पानी पीने से जोड़ों के रोग ऑर्थरिटिस आदि हो जाते हैं। अधिक रात्रि तक जागने से प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है ।
- धूम्रपान को न कहें। सिगरेट तम्बाकू आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने से प्रत्येक बार मस्तिष्क की हजारों कोशिकाएं नष्ट हो जाती है इनका पुनर्निर्माण कभी नहीं होता।
अल्बर्ट आइंस्टीन के शब्दों में स्वास्थ्य के बिना जीवन… जीवन नहीं है। यह सिर्फ एक आलस्य और दुःख की अवस्था है – मृत्यु का प्रतिबिंब है।