हर साल 14 जून को World Blood Donor Day (विश्व रक्तदाता दिवस) मनाया जाता है. कार्ल लैंडस्टेनर (जिन्हें ABO रक्त समूह तंत्र की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार मिला) के जन्मदिवस (14 जून 1868) पूरे विश्व में इसे रक्तदान के लिए जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है.
क्या आप रक्त दान के योग्य हैं :
रक्तदान के लिए व्यक्ति की उम्र 18 साल से अधिक और 60 साल से कम होनी चाहिए. वैसे लोग जिनका वजन उनकी हाइट के हिसाब से संतुलित हो और जिन्हें किसी भी तरह की को एलर्जिक बीमारी न हो, वे रक्तदान कर सकते हैं. डोनर का न्यूनतम वजन 50 किलोग्राम होना चाहिए. माहवारी के दौर से गुजर रहीं महिलाएं या बच्चे को स्तनपान करानेवाली महिलाएं रक्तदान नहीं कर सकतीं, क्योंकि इस दौरान उन्हें अतिरिक्त आहार और पोषण की जरूरत होती है. रक्तदान से 48 घंटे पहले तक अल्कोहल का सेवन नहीं किया होना चाहिए, क्योंकि इसका असर खून में बरकरार रहता है. रक्तदान करनेवाले व्यक्ति के हीमोग्लोबीन का स्तर 12.5 प्रतिशत से अधिक होना चाहिए. इसके अलावा डोनर का पल्स रेट 50 से 100 एमएम बिना किसी अवरोध के होना चाहिए. बॉडी टेंपरेचर और बीपी नॉर्मल होना चाहिए.
क्या करें, क्या न करें
रक्तदान के पहले :
– रक्तदान से पहले धूम्रपान न करें.
– रक्तदान से पहले और बाद में पौष्टिक भोजन करें.
– ध्यान रखें रक्तदान के लिए डिस्पोजेबल और नये सीरींज का ही प्रयोग किया जा रहा हो.
– रक्तदान से पूर्व रात को और सुबह में फलों का रस और पानी अधिक मात्रा
में पीना चाहिए.
– खाली पेट रक्तदान न करें. खून देने से तीन घंटे पहले जरूर भोजन कर लें.
– अगर आपकी कोई सर्जरी हुई हो, तो छह माह तक रक्तदान न करें.
– वसावाले आहार के बजाय वैसे आहार को प्राथमिकता दें, जिनमें आयरन हो
जैसे- साबूत अन्न, अंडा, हरी पत्तेदार सब्जियां, नारंगी, नीबू आदि को
आहार में शामिल करें.
रक्तदान के बाद :
– करीब पांच से 20 मिनट तक आराम करें.
– गाड़ी ड्राइव न करें.
– हल्का नास्ता और फलों का जूस लें, जिनमें सर्करा की मात्रा ज्यादा हो.
– भरपूर प्रोटीनवाला भाेजन करें, जैसे-चिकन, मीट और दाल.
– डोनेट करने के कम-से-कम आठ घंटे तक शराब का सेवन न करें.
– फीजिकल एक्टीविटी जैसे डांस, जिम और दौड़नेवाला एक्सरसाइज न करें.
रक्तदान के लाभ :
– नियमित अंतराल पर रक्तदान करने से शरीर में आयरन की मात्रा संतुलित रहती है और रक्तदाता हार्ट अटैक से दूर रहता है.
– रक्तदान से कैंसर का रिस्क भी कम होता है.
– यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, रक्तचाप को नियंत्रित करता है.
– इससे ज्यादा कैलोरी और वसा बर्न होता है, जिससे शरीर फिट रखता है.
– रक्तदान से न केवल किसी व्यक्ति का जीवन बचता है, बल्कि रक्तदाता में
नयी कोशिकओं का भी निर्माण होता है.
– इससे आयरन का स्तर नियंत्रित रहता है, जिससे रक्त गाढ़ा बनाता है.
रक्तदान से जुड़ी जानकारी :
– एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में उसके बॉडी वेट का सात प्रतिशत भाग खून यानी रक्त का होता है, जोकि करीब 4.7 से 5.5 लीटर तक होता है. यह बोनमैरो में बनता है.
– रक्तदान के दौरान मात्र 450 मिलीलीटर रक्त लिया जाता है. शरीर इस रक्त की आपूर्ति 48 घंटों में कर लेता है. हालांकि, उस रक्त के सभी कंपोनेंट को बनने में करीब तीन माह का समय लग जाता है. इसलिए डॉक्टर तीन माह से
पूर्व दोबारा रक्तदान की सलाह नहीं देते.
– एक यूनिट रक्त से तीन लोगों की जान बचायी जा सकती है.
– सबसे ज्यादा पाया जानेवाला ब्लड ग्रुप ‘ओ’ है तथा सबसे कम पाये
जानेवाला ब्लड ग्रुप ‘एबी-निगेटिव’ है.
– वर्ष 2007 में वैज्ञानिकों ने एंजाइम्स के प्रयोग से ब्लड ग्रुप ए, बी, एबी को ‘ओ’ में बदलने में सफलता प्राप्त कर ली थी, परंतु अभी इसका मनुष्यों पर प्रयोग होना बाकी है.
– विकासशील व गरीब देशों में रक्तदान के पश्चात भी दान किये हुए रक्त का 45 प्रतिशत हिस्सा ही सहेजा जा रहा है.
– अगर किसी देश की तीन प्रतिशत जनता भी रक्तदान करती है, तो उस देश की खून की जरूरत पूरी हो सकती है, पर विश्व के 73 देशों में एक प्रतिशत से भी कम लोग रक्तदान करते हैं.
– विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वैच्छिक रक्तदाताओं के मुकाबले खरीदा हुआ रक्त नहीं लेना चाहिए.
– आंकड़े बताते हैं कि स्वैच्छिक रक्तदाताओं द्वारा दिया गया रक्त न केवल मरीजों के लिए अच्छा है, बल्कि इसमें एचआइवी तथा हेपेटाइटिस बी और सी वायरस के होने की आशंका भी कम रहती है.
– ब्लड डोनेशन से पहले रक्तदाता की खून की जांच की जाती है, जिससे मुफ्त में यह भी पता चल जाता है कि उसे कोई बीमारी तो नहीं, क्योंकि ज्यादातर बीमारियों की जांच के लिए ब्लड की ही जांच की जाती है.
– रक्तदाता तीन महीने बाद फिर से रक्तदान कर सकता है.