भारतीय संस्कृति दुनियाभर के लोगों को प्रभावित करती है। विदेशों में भी भारतीय संस्कृति की झलक देखि जा सकती है। वैसे तो भारत के हर भूभाग में मंदिर मिलेंगे पर क्या आप जानते हैं, दुनिया के अन्य देशों में भी हिन्दू देवी – देवताओं के मंदिर मौजूद हैं। कुछ मंदिर ऐसे हैं जो उन देशों के लिए पर्यटन का बड़ा केंद्र भी बन गए हैं।
आइए, आज आपको ऐसे ही कुछ विदेशों में बने भव्य मंदिरों के बारे में बताते हैं।
- अंकोरवाट मंदिर, कंबोडिया
अंकोरवाट मंदिर विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मन्दिर परिसर तथा विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है। यह कंबोडिया के अंकोर में है जिसका पुराना नाम ‘यशोधरपुर’ था। इसका निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय (१११२-५३ई.) के शासनकाल में हुआ था। यह विष्णु मन्दिर है जबकि इसके पूर्ववर्ती शासकों ने प्रायः शिवमंदिरों का निर्माण किया था। मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना यह मंदिर आज भी संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है जो सैकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है।
- श्री सुब्रमण्यम देवस्थान (मलेशिया)
यह मंदिर बातू गुफा कुआलालंपुर केउत्तर में लगभग 13 की.मी दुरी पर है। लाल कृष्णा पिल्लई ने सन 1890 में इस गुफा के बहार मुरुगन स्वामी की प्रतिमा स्थापित करवाई थी। मुरुगन की यह प्रतिमा दुनिया में उनकी सबसे ऊँची प्रतिमा मानी जाती है।
- मुरुगन मंदिर (ऑस्ट्रेलिया)
यह मंदिर सिडनी के न्यू साउथ वेल्स के पहाड़ों पर स्थित है। सिडनी में रह रहे तमिल व्यक्ति ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर की देखभाल शैव-मनरम नाम की हिन्दू सोसाइटी करती है।
- अफ्रीकी हिन्दू मठ (घाना)
अफ्रीकी हिन्दू मठ की स्थापना स्वामी घनानंद सरस्वती ने की थी। ये मठ हिन्दू तो है, लेकिन यहाँ के भक्त हिन्दू बहुत कम है। इस मंदिर के ज्यादातर भक्त है अफ्रीकी है, जो हिन्दू धर्मं के रीती रिवाजों का पालन करते है।
- मुन्नेस्वरम मंदिर- मुन्नेस्वरम, श्रीलंका
इस मंदिर के इतिहास को रामायण काल से जोड़ा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रावण का वध करने के बाद भगवान राम ने इसी जगह पर भगवान शिव की आराधना की थी। इस मंदिर परिसर में पांच मंदिर हैं, जिनमें से सबसे बड़ा और सुंदर मंदिर भगवान शिव का ही है। कहा जाता है कि पुर्तगालियों ने दो बार इस मंदिर पर हमला कर नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी।
- कांच का मंदिर, आरुल्मिगु श्री राजकालीअम्मन (Tebrau, Malaysia)
कांच का मंदिर- तेबरु, मलेशिया के जौहर बाहरू जिले में स्थित है। इस स्थान पर कांच से बना हुआ ग्लास मंदिर एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। यह मंदिर भी अपनी अद्भुत कांच की संरचना के लिए के मलेशियाई रिकॉर्ड बुक में सूचीबद्ध है। यह भी जोहोर में सबसे पुराने मंदिरो में से एक है। इस मंदिर की वास्तुकला में मलेशियाई और हिन्दू कला रूपों का एक मिश्रण दिखाई देता है। कांच की दीवारों पर प्रकाश प्रतिबिंबित होते है। अंदर कांच के झूमर भी लगे हैं। मंदिर के केंद्र में आत्मा शिवलिंग के रूप में जाना जाने वाला एक शिव मूर्ति है। यहां भगवान शिव एक कमल की स्थिति में बैठे है और उनका आसन दुनिया के नक्शे से सजा है।
- श्रीवेंकटेश्वर बालाजी मंदिर (इंग्लैंड)
श्रीवेंकटेश्वर बालाजी मंदिर पुरे यूरोप में भगवन वेंकटेश्वर का पहला मंदिर था। इस मंदिर का उद्घाटन 23 अगस्त 2006 में किया गया था। इस मंदिर में स्थित भगवन विष्णु की मूर्ति लगभग 12 फीट की है।
- श्रीस्वामीनारायण मंदिर (लन्दन)
इस मंदिर का उद्घाटन 1995 में किया गया था। इस मंदिर का निर्माण और देखभाल बोछासनवासी अक्षर पुरुषोतम संस्था करती है। जो पत्थर इस मंदिर में प्रयोग किये गए है, वो किसी भी हिन्दू मंदिर में प्रयोग नहीं किये गए थे।
- श्री स्वामीनारायण मंदिर (अटलांटा, अमेरिका)
स्वामी नारायण संप्रदाय का यह मंदिर भारत के बाहर स्थित हिंदू मंदिरों में सबसे विशाल मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के कुछ स्तम्भ लगभग 75 फ़ीट ऊंचे है। मंदिर का निर्माण पारंपरिक रूप के नक्काशीदार पत्थर से किया गया है।
- पशुपतिनाथ मंदिर (काठमांडू, नेपाल)
यह मंदिर दुनिया से कुछ सबसे पुराने हिन्दू मंदिरों में से एक है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की लगभग 1 मीटर ऊंची चार मुंह वाली प्रतिमा स्थापित है।
- तनह लोट मंदिर (बाली, इंडोनेशिया)
तनह लोट मंदिर बाली द्वीप के हिन्दुओं की आस्था का बड़ा केंद्र हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह बाली में एक विशाल समुद्री चट्टान पर बना हुआ है। इस मंदिर को 16वीं सदी में निर्मित बताया जाता है, जो अपनी खूबसूरती के कारण इंडोनेशिया के मुख्य आकर्षण में से एक माना जाता है।
- प्रम्बनन मंदिर (जावा, इंडोनेशिया)
इंडोनेशिया के मध्य जावा में बना प्रम्बनन मंदिर यहां का सबसे विशाल हिंदू मंदिर है। मंदिर में मुख्य रूप से भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाति है। वर्तमान में यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल है। मंदिर में त्रिदेवों के साथ ही उनके वाहनों के भी मंदिर बने हुए हैं।