अटल बिहारी वाजपेयी : भारत की राजनीति के सबसे मजबूत हस्ताक्षर! न पथ बदला, न मन बदला, न कर्म बदला, बस ये जहाँ बदला है। ए दुनिया के जीते जागते महापुरूष ( भारत ) तेरी गौरव को समृद्ध करने में मैंने जीवन दिया । अब निकल चला हूँ लंबे सफर पर । तेरा वैभव सदा अमर रहे। भारतीय राजनीति के पारस पत्थर अटल बिहारी वाजपेयी अब सदा के लिए मौन हो गए। 21वीं सदी के राजनीति की पटकथा लिखने वाले अटल मृत्यु को टाल नहीं पाये । देश ने सिर्फ एक राजनेता को नहीं खोया बल्कि एक प्रखर वक्ता, कवि महापुरूष को खोया है। 93 वर्ष की उम्र में अटल जी का साथ जिंदगी ने छोड़ दिया। राष्ट्र इस महापुरूष की क्षति को कभी पूरा नहीं कर पायेगा।
पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) अब इस दुनिया में नहीं रहे। नई दिल्ली के एम्स में लंबे इलाज के दौरान 93 साल की उम्र में उनका निधन हो गया है। वाजपेयी के निधन की खबर के साथ ही पूरे देश में शोक की लहर है। भारतीय जनता पार्टी ने देश में अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है।
अटल बिहारी वाजपेयी पिछले 9 हफ्ते से गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे। ज्यादा तबीयत बिगड़ने पर उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। उन्हें किडनी, नली में संक्रमण, सीने में जकड़न के चलते एम्स में भर्ती कराया गया था।
Former Prime Minister & Bharat Ratna #AtalBihariVaajpayee passes away in AIIMS. He was 93. pic.twitter.com/r12aIPF5G0
— ANI (@ANI) August 16, 2018
कई बिमारियों से पीड़ित थे अटल बिहारी वाजपेयी
अटल जी मधुमेह और डिमेंशिया से पीड़ित थे उनका एक ही गुर्दा काम करता था। इसके अलावा उन्हें गुर्दे (किडनी) में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण जैसी स्वास्थ्य समस्याएं भी थी। 2009 में उन्हें स्ट्रोक आया था जिसके बाद उनकी सोचने-समझने की क्षमता कमजोर हो गई। डिमेंशिया होने के बाद उनकी सेहत गिरती गई।
अटल जी के निधन पर राजनेताओं ने श्रद्धांजलि दी। जानिये किसने कैसे याद किया वाजपेयी को…
अटल जी आज हमारे बीच में नहीं रहे, लेकिन उनकी प्रेरणा, उनका मार्गदर्शन, हर भारतीय को, हर भाजपा कार्यकर्ता को हमेशा मिलता रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके हर स्नेही को ये दुःख सहन करने की शक्ति दे। ओम शांति !
— Narendra Modi (@narendramodi) August 16, 2018
मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है।
हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है।
— Narendra Modi (@narendramodi) August 16, 2018
Extremely sad to hear of the passing of Shri #AtalBihariVajpayee, our former Prime Minister and a true Indian statesman. His leadership, foresight, maturity&eloquence put him in a league of his own. Atalji, the Gentle Giant,will be missed by one & all: President Kovind (File pic) pic.twitter.com/VmbIap4tmq
— ANI (@ANI) August 16, 2018
Today India lost a great son. Former PM, Atal Bihari Vajpayee ji, was loved and respected by millions. My condolences to his family & all his admirers. We will miss him. #AtalBihariVajpayee
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 16, 2018
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी का निधन दुःखद। देश ने सबसे बड़े राजनीतिक शख्सियत, प्रखर वक्ता, लेखक, चिंतक, अभिभावक एवं करिश्माई व्यक्तित्व को खो दिया। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। #AtalBihariVajpayee https://t.co/KhJvuTVaar
— Nitish Kumar (@NitishKumar) August 16, 2018
In Atalji’s demise the nation has lost a stalwart who was known for statesmanship and astute leadership. It is also a huge personal loss to me.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) August 16, 2018
तस्वीरों में अटल बिहारी वाजपेयी
अटल जी का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ था
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर के शिंदे का बाड़ा मोहल्ले में हुआ था। उनके पिता पंडित कृष्णबिहारी वाजपेयी टीचर थे और मां कृष्णा देवी घरेलू महिला थीं।
अटल के परिवार में उनके माता-पिता के अलावा तीन बड़े भाई अवधबिहारी, सदाबिहारी और प्रेमबिहारी वाजपेयी और तीन बहनें थीं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिक्षा मंदिर, बाड़ा में हुई। इसके अलावा अटल के ग्वालियर में कई रिश्तेदार हैं। इनमें
भतीजी कांति मिश्रा और भांजी करुणा शुक्ला हैं। नम्रता अटल जी की दत्तक पुत्री हैं। रंजन भट्टाचार्य अटल जी के दामाद हैं।
अटल जी भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे
अटल जी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे और सन् 1968 से 1973 तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। 1955 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सन् 1957 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे।1957 से 1977 तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में सन् 1977 से 1979 तक विदेश मन्त्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनायी।
1980 में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। 6 अप्रैल 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया।अटल जी दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् 1997 में प्रधानमन्त्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। 19 अप्रैल 1998 को पुनः प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली।
अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी नहीं की शादी!
अटल जी के जीवन से जुड़ा एक सवाल ऐसा है, जिसका सही-सही जवाब और ठोस कारण किसी को नहीं पता! जब कभी अटल जी और उनके अविवाहित होने का जिक्र होता है, तो सदन में उनका वह बयान याद आ जाता है। विपक्ष के हमलों के बीच तब अटल जी ने बड़ी साफगोई के साथ संसद में कहा था, ‘मैं अविवाहित जरूर हूं, लेकिन कुंवारा नहीं।’ ऐसा भी नहीं है कि आजीवन अविवाहित रहने का सवाल अटल जी से नहीं पूछा गया। हालांकि, जब कभी भी यह सवाल आया उन्होंने एक ही जवाब दिया।
सार्वजनिक जीवन से लेकर कई इंटरव्यूज में अटल बिहारी से यह सवाल पूछा जाता। इस पर वह बड़ी शांति और संयमित अंदाज में जवाब देते, ‘व्यस्तता के कारण ऐसा नहीं हो पाया।’ हां, यह भी जरूर था कि हर बार यह कहकर वह धीरे से मुस्कुरा देते थे। उनके करीबियों का भी यही मानना है कि राजनीतिक सेवा को खुद को समर्पित कर देने के कारण वह आजीवन अविवाहित रहे। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया था।
अटल जी ने परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया था
अटल जी अपने साहसिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं। अटलजी के कई ऐतिहासिक फैसलों में से एक है पोखरण परमाणु परीक्षण। 1998 का वह साल जब अटलजी ने पोखरण में 2 दिन के अंतराल में 5 परमाणु परीक्षण करके सारी दुनिया को चौंका दिया था। यह भारत का दूसरा परमाणु परीक्षण था। इससे पहले 1974 में पहला परमाणु परीक्षण किया गया था। दुनिया भर के संपन्न देशों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान और कनाडा के विरोध के बावजूद अटलजी ने देश की परमाणु संपन्नता का उदाहरण दुनिया के सामने पेश किया।