भारत की प्रख्यात गणितज्ञ शकुंतला देवी (Human Computer – Shakuntala Devi ) को पूरी दुनिया मानव कंप्यूटर के रूप में जानती है।अपनी असाधारण बुद्धि से शकुंतला देवी गणित की जटिल से जटिल समस्या को सेकंडों में हल कर देती थीं।
शकुंतला देवी (Human Computer – Shakuntala Devi ) एक गरीब परिवार में जन्मीं थीं उनके पिताजी सर्कस में अभिनय करते थे। आर्थिक तंगी के चलते वह औपचारिक शिक्षा भी नहीं ग्रहण कर पाई थीं। एक मशहूर कहावत है पूत के लक्षण पालने में ही दिख जाते है। उनके पिता ने बेटी की हैरान कर देने वाली प्रतिभा को जान लिया था। अपनी 3 साल की बिटिया से जब वो पत्ते खेलते थे तो हमेशा हार जाते थे,कारण था कि वो हर पत्तों को याद कर लेती थीं।
शकुंतला देवी (Human Computer – Shakuntala Devi ) उस समय पहली बार खबरों की सुर्खियों में आईं जब बीबीसी रेडियो के एक कार्यक्रम के दौरान इनसे अंकगणित का एक जटिल सवाल पूछा गया और उसका इन्होंने तुरंत ही जवाब दे दिया। इस घटना का सबसे मजेदार पक्ष यह था कि शकुंतला देवी ने जो जवाब दिया था वह सही था जबकि रेडियो प्रस्तोता का जवाब गलत था।
1977 में अमेरिका ने शकुंतला देवी का मुक़ाबला उस समय के आधुनिक तकनीकों से लैस एक कंप्यूटर ‘यूनीवैक’ से रखा। यह जानने के लिए की कौन सबसे पहले एक नंबर का क्यूब रुट निकाल पाता है। वह नंबर था 188132517 और शकुंतला ने कंप्यूटर से पहले ही इस प्रश्न को हल कर दिया।
18 जून 1980 में उन्होंने दो बहुत बड़े अंकों का गुणा करके पूरी दुनिया को अचंभित कर दिया, उन्होंने इम्पीरियल कॉलेज, लंदन के कंप्यूटर विभाग द्वारा दिए गए अंकों ‘7,686,369,774,870’ और ‘2,465,099,745,779’ का गुणा बिना किसी कैलकुलेटर के करके दिखा दिया, इस प्रश्न का उत्तर उन्होंने बस 28 सेकंड में दे दिया। यह घटना गिनीज़ बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में भी अंकित की गई है।
इतने बड़े-बड़े अंकों का गुणा, भाग और क्यूब रुट सेकंडों में निकाल कर शकुंतला देवी ने दुनिया भर के शोधकर्ताओं और गणितज्ञों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। सब उनकी प्रतिभा और असाधारण योग्यता पर हैरान थे। 1988 में कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान के एक प्रोफेसर, आर्थर जेन्सेन ने शकुंतला की योग्यता पर शोध किया, उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि उनके लिखने से पहले गणित के सभी जटिल सवालों का उत्तर शकुंतला दे चुकी होती थीं, ये शोध 1990 में प्रकाशित हुआ था।
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पुरस्कार एवं सम्मान
- शकुंतला देवी को फिलिपिंस विश्वविद्यालय ने वर्ष 1969 में ‘वर्ष की विशेष महिला’ की उपाधि और गोल्ड मेडल प्रदान किया।
- वर्ष 1988 में इन्हें वाशिंगटन डी.सी. में ‘रामानुजन मैथमेटिकल जीनियस अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।
- इनकी प्रतिभा को देखते हुए इनका नाम वर्ष 1982 में ‘गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में भी शामिल किया गया।
- वर्ष 2013 में इन्हें मुम्बई में ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया।
- इनके 84वें जन्मदिन पर 4 नवम्बर, 2013 को गूगल ने इनके सम्मान स्वरूप इन्हें ‘गूगल डूडल’ समर्पित किया।
अप्रैल 2013 में दिल और किडनी कि समस्या के चलते बेंगलुरु के अस्पताल में शकुंतला देवी ने अपनी आखरी साँसें ली और भारत ने एक अनूठा रत्न खो दिया।शकुन्तला देवी ने संसार के 50 से अधिक देशों की यात्रायें की और बहुत से शैक्षिक संस्थानों, थियेटर्स और यहां तक कि टेलीविज़न पर भी अपनी गणितीय क्षमता का प्रदर्शन किया। शकुंतला जी ने गणित की कई सारी किताबें भी लिखीं थीं जैसे, फन विथ नंबर्स और पज़ल्स टू पज़ल यू, इनमें से एक हैं। शकुंतला जी गणित के आसमान का एक चमकता हुआ सितारा थीं और हमेशा रहेंगी।