भारतीय राजनीति में नेता अक्सर अपने विरोधियों पर निशाना साधने के लिए कई जुमलों का प्रयोग करते है लेकिन जब से केंद्र की सत्ता में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है तब से आपने अक्सर विपक्ष के नेताओं को भाजपा सरकार पर फासीवादी होने का आरोप लगाते सुना होगा। बिहार के लोकप्रिय नेता लालू प्रसाद यादव तो कई मौकों पर अपने बयानों में यह कहते सुने जा सकते हैं कि फासीवादी ताकतों (Fascism) को सत्ता में नहीं आने देना है। यह चर्चा पिछले कुछ समय से चल रही है। आपके मन में यह सवाल ज़रूर उठा होगा कि फासीवाद क्या है ?
चलिए इस लेख के माध्यम से आपको समझाते हैं की फासीवाद क्या है…
फासीवाद या फ़ासिस्टवाद (Fasicsm) इटली में बेनितो मुसोलिनी द्वारा संगठित “फ़ासिओ डि कंबैटिमेंटो” का राजनीतिक आंदोलन था जो मार्च, 1919 में प्रारंभ हुआ। इसकी प्रेरणा और नाम सिसिली के 19वीं सदी के क्रांतिकारियों- “फासेज़”-से ग्रहण किए गए।फासीवाद का मुख्य उद्देश्य तानाशाही राज्य की स्थापना करना था । इसके शासकों को पूंजीपतियों का पूरा समर्थन प्राप्त था, क्योंकि शासकों ने उनको समाजवाद के खतरे से बचाने वादा किया था ।
फासीवाद क्या है ? What is Fasicsm?
मुसोलिनी द्वारा इटली में शुरू की गई तानाशाही राजनीति को फासीवाद के रूप में देखा जाता है । इसे एक प्रकार से सर्वाधिकारवाद का व्यवहारिक रूप कहा जा सकता है । यह फासीवाद का एक व्यवहारिक और क्रियात्मक रूप है। फासीवाद शब्द Fascism का हिंदी अर्थ है और Fascism शब्द इटालियन भाषा के Fascia से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, लकड़ी का गट्ठर और कुल्हाड़ी । जिसमें लकड़ी का गट्ठर एकता का प्रतीक है और कुल्हाड़ी शक्ति का प्रतीक है । फासीवाद एक सिद्धांत के रूप में बहुत कम तथा शासन के व्यवहारिक रूप में बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है । फासीवाद पहले व्यवहार में आया बाद में इसने सिद्धांतों का रूप धारण किया। प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद की प्रतिक्रिया के स्वरूप फासीवाद आंदोलन बहुत तेजी से विकसित हुआ ।
इटली में फासीवाद के आंदोलन (Fasicsm Agitation) की शुरुआत 1919 में हुई । जो प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद का समय था । प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों की तरफ से इटली ने भाग लिया था । इटली को उसका उचित लाभ नहीं मिल सका साथ ही साथ इटली को आर्थिक रूप से इससे बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था । विश्व युद्ध के बाद से पूरे देश में विशेषकर सैनिकों में प्रतिक्रिया का माहौल था । देश की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी और इस समय सरकार अप्रभावी और कमजोर थी और सरकार की ओर से आर्थिक स्थितियों में सुधार के लिए ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे थे। मुसोलिनी ने एक सम्मेलन बुलाया, जिसमें उसने स्पष्ट रूप से घोषणा कर दी कि फासीवाद राज्य सत्ता की सर्वोच्चता, उग्र राष्ट्रवाद, युद्ध नायकवाद और अनुशासन में विश्वास करता है । मुसोलिनी के नेतृत्व में 1919 में फासीवाद (Fascism) शुरू हो गया और मुसोलिनी ने 1922 में रोम जाकर, उस पर आक्रमण कर दिया । इस तरीके से मुसोलिनी का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ गया ।
इसके बाद मुसोलिनी ने खुले तौर पर अधिनायकवाद की भूमिका को अपना लिया और 1926 में इटली में पूर्ण रूप से अधिनायकवाद तानाशाही की स्थापना हो गई । मुसोलिनी खुद कहता था कि हम कार्य में विश्वास करते हैं, बातों में नहीं । इस प्रकार से देखा जाए तो फासीवाद मूल रूप में एक व्यवहारिक आंदोलन है, जिसमें किसी निश्चित सिद्धांत का अभाव है ।
फासीवाद सिद्धांत की मुल बातें
- फासीवादी उग्र राष्ट्रवाद तथा प्रबल राष्ट्रवाद में विश्वास करते हैं । राष्ट्र सर्वोच्च है और राष्ट्र के हित में इसके सम्मुख सभी कोशिश इसके बाद आती है और यह लोग राष्ट्र को प्रधानता देते हैं ।
- फासीवाद अतिराष्ट्रवाद पर आधारित है।
- फासीवादी सर्वाधिकारवाद या राज्य की संपूर्ण सत्ता में विश्वास करते हैं । यानी के राज्य शक्ति, अनुशासन तथा व्यवस्था का प्रतीक होती है और राज्य से ऊपर और राज्य से परे कुछ भी नहीं है ।
- फासीवाद – युद्ध तथा समग्र साम्राज्यवाद में विस्तार करता है । फासीवाद शांतिपूर्ण साधनों की बात नहीं करता और साम्राज्यवाद में विश्वास करते हैं । मुसोलिनी कहता था कि जिस प्रकार से मातृत्व है, उसी प्रकार पुरुष के लिए युद्ध है । साम्राज्यवाद को भी मुसोलिनी आवश्यक समझता था । उसके अनुसार साम्राज्यवाद जीवन का शाश्वत तथा अटल नियम है और विस्तार इटली के लिए जीवन तथा मृत्यु का प्रश्न है । या तो अपना विस्तार करें या नष्ट हो जाए ।
- फासीवाद की एक और प्रमुख विशेषता है । व्यक्ति पूजा है और व्यक्तित्व की पूजा जिसमें एक व्यक्ति को शासन दिया जाता है । और जो अधिनायकवाद की तरह शासन करता है।