नवंबर 2020 में 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बयान दिया था। अब, लगभग तीन साल बाद कल, 1 सितंबर 2023 को सरकार ने विशेष रूप से ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ (One Nation One Election ) पहल के लिए समर्पित एक समिति की स्थापना की है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द को इस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। संभावना है कि 18 से 22 सितंबर तक होने वाले आगामी विशेष सत्र के दौरान इस मामले पर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा सकता है।
क्या है एक राष्ट्र एक चुनाव (One Nation One Election )?
फिलहाल भारत में राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर कराए जाते हैं। हालाँकि, एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा का प्रस्ताव है कि ये चुनाव पूरे देश में एक साथ होने चाहिए। इसका मतलब यह है कि मतदाताओं को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं दोनों के सदस्यों का चुनाव करने के लिए एक ही दिन और एक ही समय पर वोट डालने का अवसर मिलेगा। गौरतलब है कि एक साथ चुनाव की यह प्रथा भारत की आजादी के बाद अस्तित्व में थी, क्योंकि 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे। हालांकि, 1968 और 1969 में, कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। और 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। नतीजतन, इससे एक राष्ट्र-एक चुनाव की परंपरा बंद हो गई।
एक राष्ट्र एक चुनाव (One Nation One Election ) समिति
एक राष्ट्र एक चुनाव (One Nation One Election )के लिए एक कमिटी का गठन किया गया है। इस संदर्भ में केंद्र सरकार संसद का एक विशेष सत्र बुलाने जा रही है, जो 18 से 22 सितंबर तक होने वाला है। भारत सरकार ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं दोनों के लिए एक साथ चुनाव कराने की संभावना तलाशने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके आकलन के लिए ही इस समिति की स्थापना की गई है, जिसके अध्यक्ष आदरणीय पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं। इस समिति को देश की चुनावी प्रक्रिया का गहन अध्ययन और मूल्यांकन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि पूरे देश में एक साथ चुनाव कराना व्यवहार्य है या नहीं।
चुनावी व्यवस्था में फायदा
अंदेशा जताया जा रहा है कि एक राष्ट्र एक चुनाव (One Nation One Election )में लोकसभा और राज्यसभा का चुनाव एक बार में कराने से कई सारी सुविधाएं हो सकती हैं. जनता को पैसे की बचत होगी और साथ ही प्रशासनिक व्यवस्था और सुरक्षा बलों पर बोझ कम पड़ेगा। सरकार के मुताबिक चुनावी कार्यों में लगातार उलझे रहने से जनता और प्रशासन दोनो को परेशानियों का सामना करना पड़ता है और इससे सरकारी काम भी रुकते हैं. एक राष्ट्र एक चुनाव सफल होने पर सरकारी नीतियों का समय पर कार्यान्वयन हो सकेगा और प्रशासनिक मशीनरी चुनावी कार्यक्रम के बजाय विकास कार्यों में ज्यादा समय दे पाएगी.
एक भारत, श्रेष्ठ भारत का सपना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक राष्ट्र एक चुनाव (One Nation One Election )को भारत के विकास का एक पहल माना है और इसलिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने का प्रयास कर रहे हैं। 2019 में पीएम मोदी ने लाल किले से अपने भाषण में कहा था कि एक साथ चुनाव कराने को लेकर देशभर में बहस चल रही है। यह चर्चा लोकतांत्रिक तरीके से की जानी चाहिए। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के अपने सपने को साकार करने के लिए हमें ऐसे अनेक नए विचार जोड़ने होंगे’।
एक साथ चुनाव के खिलाफ कुछ पार्टियां
कुछ पार्टियों ने एक साथ चुनाव कराए जाने के विचार को खारिज किया है। इसमें एआईएमआईएम ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है, और उन्होंने कहा है कि ऐसा करना सही नहीं होगा। तृणमूल कांग्रेस ने इस सुझाव को तबादला करते हुए कहा है कि चुनाव स्थगित करना अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक हो सकता है। इसके खिलाफ सीपीआई ने विरोध किया है और इसे अव्यावहारिक बताया है। कांग्रेस भी इसे अव्यवहार्य मानती है और इसका समर्थन नहीं करती है। इसी तरह, एनसीपी भी इस मुद्दे पर अपना स्थान रखा है और कुछ ऐसा ही मत रखती है।