कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण देश भर के अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन के साथ ही रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir) और प्लाज्मा थेरपी की मांग बढा दी है । ऐसा कहा जा रहा है कि गंभीर मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) से मदद मिल रही है इसलिए कोरोना वायरस से रिकवर हुए मरीजों के प्लाज्मा की मांग भी बढ़ गई है। ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी क्या है, कैसे होता है इसका इस्तेमाल ? प्लाज्मा थेरेपी से पहले किन बातों का रखे ध्यान ? तो आइये आज इन्ही बातों को जानते है ।
प्लाज्मा थेरेपी क्या है ?
अगर हम हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो प्लाज्मा, खून का तरल हिस्सा होता है, जिसमें लाल और सफेद रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स होते हैं। कोरोना वायरस इंफेक्शन से रिकवर होने वाले मरीज का प्लाज्मा लेकर उसे कोविड-19 बीमारी से संक्रमित मरीज को दिया जाता है। प्लाज्मा में ही एंटीबॉडीज (Plasma has antibodies) होती हैं जो संक्रमित मरीज के इम्यून सिस्टम को इस जानलेवा बीमारी से लड़ने में मदद करती है। इससे संक्रमित मरीज के लक्षणों में कमी होने लगती है और मरीज की रिकवरी प्रक्रिया तेज (Speedy recovery) हो जाती है।
अब तक इस बात के कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि प्लाज्मा थेरेपी कोरोना मरीज के लिए सचमुच कारगर है या नहीं। लेकिन कई स्टडीज में यह पाया गया है कि प्लाज्मा थेरेपी के बाद मरीज स्वस्थ हो जा रहे हैं और उनकी रिकवरी भी जल्दी हो रही है ।
प्लाज्मा डोनेट करने से पहले रखना चाहिए इन बातों का ध्यान
केंद्र सरकार ने एक पूरी लिस्ट तैयार की है कि कौन से लोग, कब और किन परिस्थितियों में प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं:
1. जिन लोगों की उम्र 18 साल से 60 साल के बीच है और जिनका वजन 50 किलो से अधिक है सिर्फ वही लोग अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं।
2. अगर कोरोना मरीज एसिम्प्टोमैटिक था यानी उसमें कोई लक्षण नहीं थे तो कोरोना की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के 14 दिन के बाद ही वह व्यक्ति अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। अगर मरीज में बीमारी के हल्के लक्षण भी थे तो वह मरीज लक्षण पूरी तरह से ठीक होने के 14 दिन के बाद प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।
3. जो महिलाएं कभी गर्भवती हो चुकी हैं, वे भी अपना कोविड-19 प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकतीं।
4. अगर किसी व्यक्ति को कोविड-19 की वैक्सीन लगी है तो वैक्सीन लगने के 28 दिन बाद तक वह व्यक्ति प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकता।
5. प्लाज्मा डोनेट करने वाले व्यक्ति का हीमोग्लोबिन काउंट 8 से ऊपर होना चाहिए और उसे कैंसर, हार्ट डिजीज, किडनी डिजीज या हाइपरटेंशन जैसी कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए।
कैसे होता है प्लाज़्म थेरेपी का इस्तेमाल
ऐसा माना जाता है कि अगर कोरोना से ठीक हो चुके मरीज का ब्लड प्लाज़्मा ( Blood Plasma), बीमार मरीज को चढ़ाया जाए तो इससे ठीक हो चुके मरीज की एंटीबाडीज (Antibodies )बीमार व्यक्ति के शरीर में ट्रांसफर (Transfer) हो जाती हैं और ये एंटीबॉडी (Antibodies )वायरस से लड़ना शुरू कर देती हैं। कई डॉक्टर्स मानते हैं कि जब वायरस किसी शरीर में बुरी तरह से प्रहार करता है और उस शरीर में एंटीबॉडी(Antibodies) नहीं बन पाती तो प्लाज़्म थेरेपी (Plasma Therapy) ऐसे समय में काम आ सकती है। यही वजह है कि इस समय ब्लड प्लाज़्म (Blood Plasma) की काफी मांग है।