केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र (Parliament Special Session) बुलाया है। इसको लेकर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। संभावना जताई जा रही है कि इस सत्र में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ संबंधित विधेयक लाया जा सकता है। लेकिन क्या आपको मालूम है संसद का विशेष सत्र क्या होता है और इसे बुलाने के क्या नियम होते हैं, आइए आपको बताते हैं।
क्या है संसद का विशेष सत्र? (Parliament Special Session)
संसद का विशेष सत्र, संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा, की एक बैठक होती है जो किसी विशेष मुद्दे या विधेयक पर विचार करने के लिए बुलाई जाती है। विशेष सत्र आमतौर पर तब बुलाया जाता है जब संसद के नियमित सत्र के दौरान किसी मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता होती है या कुछ मुद्दे पर चर्चा करने की आवश्यकता होती है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 85 के अनुसार, राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को सत्रावसान कर सकते हैं या संसद के दोनों सदनों को एक साथ या अलग-अलग बुला सकते हैं। विशेष सत्र बुलाने के लिए, राष्ट्रपति को लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति को एक लिखित आदेश जारी करना होता है। सांसद का विशेष सत्र एक महत्वपूर्ण और गंभीर दिन होता है जब भारतीय संसद के सदस्यों को विशेष मुद्दों पर विचार करने और निर्णय लेने का मौका प्राप्त होता है। इस सत्र के दौरान, संसद के सभी सदस्य और नेता एकत्र होते हैं और विभिन्न देश के मुद्दों पर चर्चा करते हैं, जिनमें राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दे शामिल होते हैं।
सांसद के विशेष सत्र का मुख्य उद्देश्य क्या है?
विशेष सत्र का उद्देश्य आमतौर पर किसी विशेष मुद्दे या विधेयक पर विचार करना होता है। उदाहरण के लिए, सरकार द्वारा किसी विधेयक को पारित कराने के लिए, या किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस करने के लिए विशेष सत्र बुलाया जा सकता है। साथ ही, संसद के सदस्य विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करें और समाधान ढूंढें, जिनमें सार्वजनिक हित के साथ-साथ देश के विकास और सुरक्षा की दिशा में कदम उठाया जा सके। यह चर्चाएँ आमतौर पर बड़े मुद्दों को सुनिश्चित करने और निर्णय लेने के लिए बुलाई जाती हैं, जो कि विशेष सत्र के प्रस्तावना पत्र में लिखे होते हैं।
इन चर्चाओं के दौरान, सभी सदस्यों का यह कर्तव्य होता है कि वे विशेष सत्र के मुद्दों के बारे में ज्ञान रखें और सुझाव और विचारों को साझा करें जो समस्याओं के समाधान में मदद करते हैं।
क्या होते हैं विशेष सत्र बुलाने के नियम ?
विशेष सत्र का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है और सत्र की बैठकें संसद भवन में आयोजित की जाती हैं। विशेष सत्र में केवल वही विधेयक पेश किए जा सकते हैं जिनके लिए राष्ट्रपति ने अनुमति दी है। विशेष सत्र की अवधि राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाती है। सांसद के विशेष सत्र को बुलाने के नियम और प्रक्रियाएं भारतीय संसद के नियमावली के तहत दिए गए हैं, और ये नियम विशेष सत्र के आयोजन को सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।
पहले प्रस्तावना फिर मंजूरी
पहला आता है प्रस्तावना, जिसमें संसद के किसी सदस्य द्वारा किसी विशेष मुद्दे को विशेष सत्र के लिए प्रस्तावित किया जाता है। इस प्रस्तावना में विशेष सत्र के आयोजन की तिथि, समय, और मुद्दों का विस्तार से विवरण दिया जाता है। इसके बाद प्रस्तावना को संसद या संसद के उपसमिति द्वारा मंजूरी प्राप्त करनी होती है। इसके बाद, तय की गई तिथि और समय पर विशेष सत्र आयोजित किया जाता है और इसकी जानकारी सभी सदस्यों को दी जाती है।
विशेष सत्र के दौरान उच्च अधिकारियों और मंत्रियों को भी विचार में लिया जाता है, और उनके सुझाव और विचार भी महत्वपूर्ण होते हैं। सांसद के विशेष सत्र का आयोजन और नियम भारतीय लोकतंत्र के सुदृढ़ी आधार का हिस्सा हैं, जो सरकार की कामों को निगरानी में रखने और सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हैं। यह एक प्रभावी तरीका है जिससे विभिन्न दलों के सदस्य आम जनता के लिए सशक्त होते हैं और उनके हित में निर्णय लिया जा सकता है, जिससे देश के विकास में सुधार हो सकता है।