हमारा देश डिजिटल के साथ-साथ साइंस और तकनीक के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। अभी हाल ही में आपने देखा होगा कि हमारा देश साइंस और स्वदेशी तकनीक की मदद से ‘ चंद्रयान- 3 चांद की धरती पर सॉफ्ट लैंडिंग कर चुका है। उसके कुछ दिन बाद ही ‘आदित्य एल 1 ‘ मिशन को सूर्य के अध्ययन करने के लिए भेजा गया है। वहीं अब हमारा देश ड्रोन निर्माण में आगे बढ़ चुका है। वर्तमान में ड्रोन की उपयोगिता ग्लोबल स्तर पर पूरे विश्व के देशों को है। पहले हमारे देश में ड्रोन ज्यादा बाहर के देशों से आयात होते थे। वहीं अब भारत इस क्षेत्र में आत्म निर्भर होने की दिशा में अग्रसर हो रहा है। हाल ही में भारत की नंबर एक ड्रोन निर्माता कंपनी मारूत ड्रोन ( Marut Drones) को DGCA की मंजूरी मिल चुकी है।
भारत में यह इकलौती कंपनी जिसे मिली मंजूरी
भारत में यह इकलौती कंपनी है जिसे DGCA का मंजूरी प्राप्त है। मिली जानकारी के अनुसार DGCA की ओर से कंपनी को मध्यम और छोटे दोनों ही प्रकार के बैटरी द्वारा संचालित ड्रोन की मंजूरी मिली है। वर्तमान में मारूत ड्रोन की उपलब्धता पूरे देश में है। लेकिन इससे पहले इस कंपनी को DGCA की मान्यता नहीं मिल पाया था। देश भर में इस कंपनी के
डीलर्स है। मंजूरी मिलने के बाद अब AG365S ड्रोन की खरीद के लिए बैंक से 5 से 6 प्रतिशत के ब्याज पर 10 लाख रुपये तक लोन मिल सकता है। AG365S ड्रोन छोटे आकर के ड्रोन होते है।
भारतीय ड्रोन का परफॉर्मेंस बहुत अच्छा
कंपनी इसका निर्माण देश में उपयोग के अनुसार निर्माण करती है। इसका इस्तेमाल कृषि के साथ वीडियो शूट, फिल्म शूट, छोटे स्तर पर फैक्ट्री या संस्थान की निगरानी, प्रशासन विभाग द्वारा मनचलों पर नजर रखने, शादी विवाह , जंगलों में पशु पंक्षियों पर नजर रखने के लिए किया जाता है। कंपनी दावा करती है कि AG365S साइज में भले ही छोटा ड्रोन है, लेकिन इसका परफॉर्मेंस बहुत अच्छा है। इसे 20 से 25 मिनट तक एक समय में ऑपरेट किया जा सकता है। ड्रोन कंपनी ने बताया कि अबतक 8 सौ ड्रोन चलाने वाले पायलट को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
कैसा मिलता है DGCA का अप्रूवल?
किसी भी ड्रोन कंपनी को डीजीसीए ( DGCA) का अप्रूवल लेना आसान नहीं होता है। उसके लिए ड्रोन कंपनी को DGCA के नियम व शर्तों को पूरा करना होता है। ड्रोन की सघनता के साथ टेस्टिंग की जाती है। यह टेस्टिंग NABL द्वारा प्रमाणित लैब में किया जाता है, तब जाकर DGCA का मंजूरी प्राप्त होती है। मारूत ड्रोन कंपनी विशेष रूप से छोटे ड्रोन, जिसका वजन 25 किलो से कम होता है, उसका निर्माण करता है। जिसका उपयोग कृषि कार्य के लिए किया जाता है। वहीं अब कंपनी को DGCA का मंजूरी मिलने के बाद अब मध्यम आकार के ड्रोन बनाये जायेंगे।