इन दिनों पूरा विश्व कोरोना वायरस (Corona Virus) से जूझ रहा है । लगातार बढ़ते संक्रमण से लोग मर रहे हैं। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए वैक्सीन तो बन गई है लेकिन अब भी एक बड़ा सवाल है कि क्या कोरोना से बचने के लिए जो वैक्सीन हमारे बीच है वो प्रभावी है…
आइए आपको बताते है और कौन – कौन सी संक्रामक बीमारियां है जिसका वैक्सीन आज तक दुनिया में नहीं है।
1. एवियन इन्फ्लूएंजा
नब्बे के दशक के आख़िरी दौर से लेकर अब तक एवियन इन्फ्लूएंजा के दो प्रकार सामने आ चुके हैं और कई लोगों इससे संक्रमित हो चुके हैं और मारे जा चुके हैं।
इस वायरस का चिड़ियों के मल से इंसानों में संक्रमण होता है । 1997 में एच5एन1 (H5N1) वायरस का सबसे पहले हांगकांग में पता चला था। इसकी वजह से वहाँ बड़े पैमाने पर मुर्गियों को मारा गया था ।
अब तक अफ्रीका, एशिया और यूरोप के पचास से ज़्यादा देशों में यह वायरस पहुंच चुका है। इस वायरस से होने वाली मृत्यु दर 60 फ़ीसदी है। मई, 2013 में चीन में एच7एन9 का पता चला था, जहाँ कहीं-कहीं पर वायरस के संक्रमण की छिटपुट घटनाएँ सामने आई थीं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 2013 और 2017 के बीच 1,565 संक्रमण के कुल मामले सामने आए थे इनमें से 39 फ़ीसदी संक्रमितों की मौत हुई थी।
2. एचआईवी (HIV)
विज्ञान और तकनीक की तमाम तरक्की के बावजूद आजतक एचआईवी इंफेक्शन की कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है (No Vaccine for this Virus)। हालांकि, वैज्ञानिक इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन दशकों बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिल पाई है। अभी एचआईवी पेशेंट के इजाल के लिए एंटी रेट्रोवायरल थेरिपी और दवाई़यों का उपयोग किया जा रहा है। जिससे उनकी समस्याओं को कुछ हद तक आगे बढ़ने से रोका जा रहा है।
एचआईवी वायरस के बारे में पता चले हुए तीस साल से ज़्यादा का वक्त हो चुका है।
एड्स के शुरुआती कुछ मामले समलैंगिक लोगों में पाए गए थे. इसकी वजह से इस बीमारी को लेकर सामाजिक कलंक की मजबूत भावना जुड़ी हुई थी। मीडिया के कुछ हिस्सों में इसे ‘गे कैंसर’ भी कहा गया।
आज करीब चार दशक बाद भी इसकी कोई दवा नहीं बन पाई है। पूरी दुनिया में चार करोड़ लोग इससे प्रभावित हो चुके हैं।
वायरस के ख़त्म होने की बात तो अभी बहुत दूर की कौड़ी लगती है।
3. सार्स : सार्स (SARS)
सार्स-कोवी एक प्रकार का कोरोना वायरस ही है। इसके बारे में सबसे पहले 2003 में पता चला था। अभी तक के खोज के आधार पर यह माना जाता है कि यह चमगादड़ों से इंसान में आया है।
चीन के गुआंगजू प्रांत में साल 2002 में इसके संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। इस वायरस की वजह से सांस लेने की गंभीर बीमारी होती है। 2003 में 26 देशों में इससे करीब 8000 से ज़्यादा लोग संक्रमित हुए थे।
तब से इसके संक्रमण के कम ही मामले सामने आए हैं।
एवियन इंफ्लूएंजा के विपरीत इस वायरस का संक्रमण इंसानों से इंसानों में ही मुख्य तौर पर होता है और वास्तव में स्वास्थ्य केंद्रों पर ही इससे होने वाले संक्रमण के मामले ज़्यादा हैं क्योंकि वहाँ पर इसके संक्रमण को रोकने के लिए पर्याप्त एहतियात नहीं बरते गए थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक जैसे ही संक्रमण को रोकने के लिए एहतियात बरता जाने लगा वैसे ही जुलाई 2003 में इसका संक्रमण रूक गया।
8,400 से ज़्यादा संक्रमण के मामले सामने आए थे जिनमें 916 लोगों की मौत हुई थी। मृत्यु दर 11 फ़ीसदी है।
4. मर्स-कोव
मर्स-कोव भी कोरोना वायरस की तरह ही है। इसके बारे में सबसे पहले 2012 में पता चला था। जहां पहला मामला सऊदी अरब से सामने आया था। ऐसा कहा जाता है कि ये वायरस अरबी ऊंटों से इंसान में आया। रिपोट्स के अनुसार इस बीमारी से 2019 तक दुनियभर में लगभग 2494 लोग संक्रमित हो गए थे। और लगभग 858 लोगों की संक्रमण के कारण जान चली गई थी। ये वायरस लगभग 27 देशों में फैला है, जिसमें केवल मध्य पूर्व के 12 देश शामिल हैं।