पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव हो रहे हैं। बिहार के गौरवशाली इतिहास में पटना विश्वविद्यालय का इतिहास भी गौरवशाली रहा है। कभी इस विश्वविद्यालय को ‘पूरब का ऑक्सफोर्ड’ कहा जाता था। पटना विश्वविद्यालय अपने गौरव शाली इतिहास के लिए जाना जाता है। भारत के तमाम राजनीतिक दल NSUI, ABVP, AISF, SFI, AISA, AIDSO, Chhatra RJD, Chhatra Lok Jan Shakti और Chhatra JD (U) के अलावा कई निर्दलीय भी चुनाव लड़ रहें है।
पीयू छात्र संघ चुनाव एक नज़र में
- पटना यूनिवर्सिटी में पहली बार छात्र संघ का चुनाव 1959 में हुआ था।
- शैलेश चंद्र मिश्रा पटना विश्विद्यालय छात्र संघ के पहले अध्यक्ष थे।
- 1984 तक पटना छात्र संघ के चुनाव जारी रहे।
- 1974 के छात्र आंदोलन और आपातकाल के कारण चार वर्षों तक चुनाव बाधित रहे।
- 1973 में लालू प्रसाद यादव पटना छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुकें है।
- केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद संयुक्त सचिव रह चुकें हैं।
- 1978 के चुनाव में अश्विनी चौबे ने जीता था अध्यक्ष पद का चुनाव।
- 1980, के चुनाव में अनिल कुमार शर्मा बने थे पीयू छात्र संघ अध्यक्ष।
- 1984 में शम्भू शर्मा पीयू अध्यक्ष पर हुए थे निर्वाचित।
- रामजतन सिन्हा छात्र संघ चुनाव में लालू प्रसाद यादव को दे चुकें है पटखनी।
- सुशील मोदी ने पटना विश्वविद्यालय से अपने छात्र राजनीति की शुरुआत की थी।
- 27 वर्षों बाद 2012 में हुआ था छात्र संघ चुनाव।
- 2012 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के आशीष सिन्हा ने जीता था अध्यक्ष पद का चुनाव।
- पांच वर्ष बाद हो रहा है चुनाव का आयोजन।
गौरतलब है देश कि राजनीति को दिशा देने में छात्र राजनीति कि अहम् भूमिका रही है। गांधी के अनुयायियों ने आजाद भारत में विद्यार्थी आंदोलनों पर भरोसा किया। जयप्रकाश नारायण का आंदोलन इसकी मिसाल है। मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू होने और इसके खिलाफ वातावरण बनाने में भी विद्यार्थी आंदोलनों का हाथ था। छात्र राजनीति से युवाओं का राजनीतिक सामाजिकीकरण तेजी से होता है। छात्र संघ चुनाव प्रक्रिया भविष्य की लीडरशिप तैयार करती है और विद्यार्थियों की आवाज बनने के साथ ही लोकतांत्रिक प्रणाली को सुदृढ़ करती है।