: इस सावन पड़ेगी 8 सोमवारी, 19 साल बाद बन रहा संयोग
:: पूरे 58 दिन गूंजेंगा का शिव का जयकारा 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक रहेगा श्रावण मास
सावन का महीना (Shravan Month 2023) भगवान शिव को को सबसे प्रिय और समर्पित है। इस लिए ही इसे श्रावण मास (Shravan Maas) भी हा जाता है। लेकिन इस बार का सावन कुछ खास है। क्योंकि यह इस दशक का सबसे लंबा सावन होगा। इस साल श्रावण मास 4 जुलाई को शुरू होगा और 31 अगस्त को खत्म होगा। 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास रहेगा। इस तरह सावन 58 दिनों का होगा। ये दुर्लभ संयोग करीब 19 साल बाद बन रहा है। जो इस बार के सावन को खास बना रहा है। इससे पहले ऐसा संयोग 2004 में बना था।
उन्होंने बताया कि सावन में भी सोमवार के दिन का विशेष महत्व है। बड़ी संख्या में लोग इस दिन व्रत रहते हैं जो सावन के अन्य दिनों में मंदिर न भी जाए वे लोग सोमवारी को जरूर भोले नाथ को जल चढ़ाते हैं। इस बार के सावन में 8 सोमवारी पड़ रहा है। ऐसे में भक्तों को भोले नाथ के प्रिय महीने में उनी आराधना करने का इस बार अधिक अवसर मिलने जा रहा है। तो आइए आपको बताते हैं सावन के महीने से जुड़ी खास बातें।
इस सावन कितने होंगे सोमवार?
सावन के सोमवार के व्रत का खास महत्व माना गया है। अमूमन सावन में 4 या 5 सोमवार पड़ता है लेकिन इस बार सावन के सोमवारी की 8 है। जहां 4 सोमवार जुलाई में पड़ेगा वहीं 4 अगस्त माह में ।
आईए बताते हैं इस सावन कब कब पड़ेगा सोमवार:
सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई 2023
सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई 2023
सावन अधिकमास का पहला सोमवार: 24 जुलाई 2023
सावन अधिकमास का दूसरा सोमवार: 31 जुलाई 2023
सावन अधिकमास का तीसरा सोमवार: 7 अगस्त 2023
सावन अधिकमास का चौथा सोमवार: 14 अगस्त 2023
सावन का तीसरा सोमवार: 21 अगस्त 2023
सावन का चौथा सोमवार: 28 अगस्त 2023
क्या है सावन के महीने का महत्व
माना जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। ऐसी मान्यता है कि अगर इस महीने में उनकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाए, तो भोले नाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो भक्त की मनोकामना पुरा करते हैं। ऐसे में शिव जी के तमाम भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए सावनभर उनकी विशेष पूजा करते हैं और कावंड यात्रा निकाल उनका जलाभिषेक करते हैं।
क्यों भगवान शिव को बेहद प्रिय है सावन का महीना
कहा जाता है कि दक्ष पुत्री सती ने जब अपने प्राणों को त्याग दिया था, तो महादेव दुख में इतने डूब गए थे कि घोर तप में लीन हो गए थे। तब माता सती से पर्वतराज हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया और महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया। सावन माह में ही भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना को पूरा किया इस तरह ये महीना शिवजी और माता पार्वती के मिलन का महीना माना जाता है। वहीं विवाह के बाद भगवान शिव पहली बार ससुराल गए थे। उस समय भी सावन माह ही था इस दौरान वहां पर उनका स्वागत किया गया। उनका जलाभिषेक हुआ, जिससे वे बहुत खुश हुए। इसलिए ये महीना भगवान शिव और माता गौरी, दोनों को प्रिय है।
अधिक मास क्या है?
इस बार का सामवन एक की जगह दो महीने का होने वाला है। इसकी मुख्य वजह अधिकमास है। पंडित सुधानंद झा बताते हैं कि हिंदू कैलेंडर सूर्य और चंद्रमा की गणना पर बनाए जाते हैं। सौर कैलेंडर में 365 दिन और 6 घंटे का एक साल होता है, जिसमें हर 4 साल पर एक लीप ईयर होता है। उस लीप ईयर का फरवरी 28 की बजाए 29 दिनों का होता है। चंद्र कैलेंडर में एक साल 354 दिनों का होता है। अब सौर कैलेंडर और चंद्र कैलेंडर के एक वर्ष में 11 दिनों का अंतर होता है। इस अंतर को खत्म करने के लिए हर तीन साल पर चंद्र कैलेंडर में एक अतिरिक्त माह जुड़ जाता है। वह माह ही अधिक मास होता है। इस तरह से चंद्र कैलेंडर और कैलेंडर के बीच संतुलन बना रहता है। अधिक मास जिस भी महिने में शुरू होता है वह महीना दो महीने का हो जाता है।
अधिक मास को क्यों कहते हैं मलमास?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अधिक मास में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। नामकरण, विवाह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश आदि वर्जित होता है। यह साल में अतिरिक्त महीना होता है, जिसे मलिन माना जाता है। इस वजह से अधिक मास को मलमास कहते हैं।