नई दिल्ली: बिहार प्रदेश भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष विशेश्वर ओझा हत्याकांड के आरोपियों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। सुप्रीम कोर्ट के नामजद अभियुक्त बसंत मिश्र, टुन्नी मिश्र, एवं पप्पू सिंह की जमानत पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। सुप्रीमकोर्ट ने ये आदेश जमानत रद्द करने संबंधित दायर स्पेशल लीव पिटीशन पर सुनवाई करते हुए जारी किया है।सुप्रीम कोर्ट से लगे इस रोक के बाद अब तीनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस आदेश के बाद तीनों को तो फिर से जेल जाना हीं पड़ेगा साथ हीं जो पहले से अंदर हैं वे भी अब बाहर नही आ सकेंगे।
बता दें तीनो अभियुक्तों को उच्च न्यायालय पटना से 20 मार्च 2017 को जमानत मिली थी। तब उच्च न्यायालय में सूचक के अधिवक्ता सुभाष कुमार मिश्र ने जोरदार बहस कर जमानत का विरोध किया था, बावजूद इसके माननीय उच्च न्यायालय से इन अभियुक्तो को जमानत मिल गयी थी। बाद में सर्वोच्च न्यायालय में SLP दायर किया गया। सर्वोच्च न्यायालय के वरिय अधिवक्ता अखिलेश पाण्डेय और ब्रह्म पाठक ने पूरजोर तरीके से बहस की।
मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश एसए बोबडे और नागेश्वर राव की अदालत में हुई। न्यायाधीशोॆ ने दलीलों को सुनने के बाद उपरोक्त तीनो अभियुक्तो की उच्च न्यायालय से मिली जमानत पर रोक लगा दी। इससे पहले भी ओझा हत्याकांड में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने हत्या के नामजद अभियुक्त हरेंद्र सिंह उर्फ बुवा सिंह पर भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
इस बात की जानकारी देते हुये विशेश्वर ओझा के छोटे भाई मुक्तेश्वर ओझा उर्फ़ भुअर ओझा ने कहा कि मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि इस जाँच की आँच जल्द हीं हत्याकांड के साजिशकर्ता विधायक तक भी पहूँचेगी। इसके लिए भी कानूनी प्रक्रिया चल रही है। साथ हीं भुअर ओझा ने कहा कि हत्या के साजिशकर्ताओं के बेपर्द होने एवं सभी अभियुक्तो को उचित सजा मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा।
गौरतलब है कि 12 फरवरी 2016 को विशेश्वर ओझा की शाहपुर थाना के करनामेपुर ओपी के सोनवर्षा बाजार में अंधाधुंध फायरिंग कर ह्त्या कर दी गई थी। ओझा की हत्या अब तक प्रदेश में हुई कई अन्य राजनीतिक हत्याकांडों में से एक है। इस हत्याकांड ने एक बार तो प्रदेश की क़ानून व्यवस्था पर हीं सवालिया निसान लगा दिया था। इस हत्याकांड के बाद क्षेत्र में हीं नहीं बल्की प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में भी भूचाल आ गया था। ओझा के प्रशंसकों का एक बड़ा समूह आज भी इस सदमे से उबर नहीं पाया है। इस मामले में सात के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी जिसमें अब तक कई लोग सलाखों के पीछे जा चुके हैं।