हमारे देश में छात्रों के बीच सिविल सर्विसेज़ की परीक्षाओं को लेकर काफी क्रेज़ रहता है। पूर्वी भारत में तो लगभग हर माता पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा बड़ा होकर आईएएस या आईपीएस बने। राजधानी दिल्ली का मुखर्जी नगर इलाका सिविल सर्विसेज़ की तैयारी करने वाले छात्रों कि वजह से जाना जाता है। पर क्या आप जानते हैं क्या IAS, IPS, IFS में क्या अंतर होता है।
आईएएस और आईपीएस का पद विशेष अधिकार वाला होता है। इन्हें लोक सेवा अधिकारियों के तौर पर जाना जाता है और ये भारतीय लोकतंत्र के ध्वजवाहक कहलाते हैं। इनकी अलग अलग भूमिकाएं होती है और इनकी सैलरी में भी बहुत अंतर होता है। यह सभी अधिकारी संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद चयनित किए जाते हैं।
आईएएस (इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस) – सिविल सेवा परीक्षा में टॉप रैंक हासिल करने वाले उम्मीदवारों को आईएएस बनाया जाता है। आईएएस अधिकारी संसद में बनने वाले कानून को अपने इलाकों में लागू करवाते हैं। साथ ही नई नीतियां या कानून बनाने में भी अहम योगदान निभाते हैं। आईएएस अधिकारी कैबिनट सेकेट्री, अंडर सेकेट्री आदि भी बन सकते हैं।
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आईपीएस (इंडियन पुलिस सर्विस)- आईपीएस अधिकारी अपने कार्यक्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने का काम करता है और आईपीएस एसपी से लेकर आईजी, डेप्यूटी आईजी, डीजीपी तक बनाए जाते हैं। आईपीएस फियरलैस और इक्वैलिटी को साथ लेकर चलते हैं। आईएएस सही तौर पर कानून को लागू करने का काम करते हैं।
आईईएस (इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस)- यह सरकार के टेक्निकल फंक्शन को देखते हैं। खास बात ये है कि अन्य अधिकारियों के लिए सिर्फ ग्रेजुएशन की आवश्यकता होती है, लेकिन आईईएस के लिए उम्मीदवारों को इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट किया होना आवश्यक है। आईईएस अधिकारी डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में काम करते हैं।
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आईएफएस- आईएफएस विदेशी मामलों को लेकर काम करते हैं और विदेश मंत्रालय में अपनी सेवाएं देते हैं। आईएफएस अधिकारी यूपीएससी क्लियर करने के तीन साल की ट्रेनिंग के बाद आईएफएस ऑफिसर बनते हैं। आईएफएस अधिकारी डिप्लोमेसी से जुड़े मामलों में काम करते हैं और द्विपक्षीय मामलों को हैंडल करते हैं।
Source- AAJ TAK