जानें सिंधु जल संधि क्या है? What is Indus Water Treaty?

Sidharth Gautam
Sidharth Gautam 99 Views

Indus Water Treaty

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया उपजे  तनाव के वजह  से  सिन्धु जल संधि का मुद्दा  चर्चा में  है। इस संधि के सामरिक महत्त्व को लेकर काफी बातें हुयी। सिंधु जल संधि जारी रखने के सवाल पर भी चर्चा हो रही है।

क्या है सिंधु  जल संधि, भारत और पाकिस्तान के लिए क्यों है अहम?

जानिये सिंधु जल संधि से जुडी ख़ास बातें

1947 में बंटवारे के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच पानी को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। विभाजन के कारण पानी का बंटवारा असंतुलित हो गया था। पंजाब की पांचों नदियों में से सतलुज और रावी दोनों देशों के मध्य से बहती हैं, वहीं झेलम और चिनाब पाकिस्तान के मध्य से और व्यास पूर्णतया भारत में बहती है। लेकिन भारत के नियंत्रण में वे तीनों मुख्यालय आ गए थे।जहां से दोनों देशों के लिए इन नहरों को पानी की आपूर्ति की जाती थी। 1947 में कश्मीर को लेकर जंग लड़ चुके दोनों देशों के बीच एक बार फिर से तनाव बढ़ने लगा था।1949 में एक अमेरिकी विशेषज्ञ डेविड लिलियेन्थल ने इस समस्या को राजनीतिक स्तर से हटाकर टेक्निकल और व्यापारिक स्तर पर सुलझाने की सलाह दी। लिलियेन्थल ने विश्व बैंक से मदद लेने की सिफारिश भी की। सितंबर 1951 में विश्व बैंक के अध्यक्ष यूजीन रॉबर्ट ब्लेक ने मध्यस्थता करना स्वीकार किया। सालों तक बातचीत चलने के बाद 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच जल पर समझौता हुआ। इसे ही 1960 की सिन्धु जल संधि कहते हैं। आधुनिक विश्व के इतिहास में यह संधि सबसे उदार जल बंटवारा है। इसके तहत  भारत,पकिस्तान को अपनी 6 नदियों का 80% पानी पाकिस्तान को देता है।

सिंधु जल समझौते की प्रमुख बातें

  1. इस समझौते के अनुसार सिंधु बेसिन की नदियों को दो हिस्सों में बांटा गया था, पूर्वी और पश्चिमी। इसके अनुसार सतलज , व्यास और रावी नदियों को पूर्व की सहायक नदी बताया गया। जबकि झेलम चेनाब और सिंधु को पश्चिमी नदी बताया गया है।
  1. संधि शर्त के अनुसार पूर्वी नदियों का पानी भारत बेरोकटोक इस्तेमाल कर सकता है। जबकि पश्चिमी नदियों का पानी पाकिस्तान के उपभोग के लिए होगा लेकिन कुछ सीमा तक भारत इन नदियों का जल भी उपयोग कर सकता है।
  1. संधि समझौते के तहत एक स्थायी सिंधु आयोग की स्थापना की गयी। इसके अनुसार दोनों देशों के कमिश्नरों के मिलने का प्रस्ताव पारित हुआ। इन कमिश्नरों को अधिकार दिया गया की ये समय समय पर मिलते रहेंगे और किसी भी परेशानी पर मिलकर बात करेंगे।
  1. यदि कोई देश किसी परियोजना पर कार्य आरम्भ करता है और उस परियोजना से दूसरे देश को आपत्ति है तो दूसरा देश उसका जबाब देगा और इसके लिए गठित आयोग इस बात का फैसला करेगा। अगर आयोग इस बात को निर्णायक स्थिति में नहीं पहुंचती तो दोनों सरकारें इसे सुलझाने का प्रयास करेंगी।
  2. इसके अतिरिक्त इस संधि में आपसी विवादों का निदान ढूढने के लिए तटस्थ विशेषज्ञों की मदद लेने या कोर्ट आफ आब्रिट्रेशन में जाने का भी रास्ता सुझाया गया है।

सबसे महत्वपूर्ण बात  सिंधु बेसिन के सिंधु और सतलुज नदी का उद्गम स्थल चीन में है और भारत-पाकिस्तान की तरह उसने जल बंटवारे की कोई अंतरराष्ट्रीय संधि नहीं की है। अगर चीन ने सिंधु नदी के बहाव को मोड़ने का निर्णय ले लिया तो भारत को नदी के पानी का 36 फीसदी हिस्सा गंवाना पड़ेगा।

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