क्या देश का नाम बदलने वाला है? ऐसे कयास लगाया जा रहे हैं कि केंद्र सरकार आने वाले लोकसभा के विशेष सत्र में देश का नाम बदलने से संबंधित प्रस्ताव पेश कर सकती हैं। दरअसल अब तक भारत को दुनिया में ‘इंडिया’ के नाम से जाना जाता है। कुछ राजनीतिक शख्सियतों की ओर से कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार अब ‘इंडिया’ का नाम बदलकर भारत करना चाहती हैं।
आने वाले लोकसभा के विशेष सत्र पर सबकी निगाहें लगी हुई है। विपक्ष समझ नहीं पा रहा है कि आखिर क्यों लोकसभा का विशेष सत्र आयोजित किया जा रहा है। इस बीच 20 सम्मेलन के दौरान आगामी 9 सितंबर को रात 8:00 बजे राष्ट्रपति की तरफ से गणमान्य लोगों को डिनर का आमंत्रण भेजा गया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर आमंत्रण पत्र की तस्वीर डालकर दावा किया है कि इसमें ‘द प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘द प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा गया है। इसके बाद से देश के नाम को लेकर नये सिरे से सियासी संग्राम शुरू हो गया है।
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने इंडिया की जगह भारत नाम के इस्तेमाल करने की दी थी सलाह
हाल ही में अपने एक कार्यक्रम के दौरान RSS प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में ‘इंडिया’ की जगह भारत शब्द का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी। ऐसे में जयराम रमेश के के नये पोस्ट के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि RSS प्रमुख का यह संबोधन केवल संयोग था या फिर प्रयोग।
विपक्षी गठबंधन की ओर से ‘इंडिया’ नाम रखने के बाद बढ़ा विवाद
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ 28 राजनीतिक दलों की ओर से बनाए गए विपक्षी गठबंधन का नाम ‘ इंडिया’ रखा गया है। इसके बाद से ही ‘इंडिया’ नाम को लेकर नए सिरे से बहस शुरू हो गई है। केंद्र के सत्ता पक्ष से जुड़े कई वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ‘इंडिया’ नाम को लेकर विपक्ष पर निशाना साथ चुके हैं। ऐसे में विपक्षी दलों को ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार वर्ष 2024 के चुनाव से पहले देश का नाम बदलकर बड़ा राजनीतिक प्रयोग कर सकती है।
दरअसल अलग-अलग जगहों के नाम में परिवर्तन को लेकर भाजपा लंबे समय से चर्चा में रही है। भाजपा के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकार के गठन के बाद कई जगहों के नाम में परिवर्तन कर दिया। इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया। फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया। इस तरह से कोई और जगह के नाम में परिवर्तन किए गए। योगी के विधानसभा क्षेत्र गोरखपुर में भी कई मोहल्लों के नाम में परिवर्तन से इसकी शुरुआत की गई।