BPSC में प्रारंभिक परीक्षा के नियम में बदलाव को लेकर विरोध में बिहार की राजधानी पटना में छात्रों ने बीपीएससी दफ्तर के बाहर उग्र प्रदर्शन किया। छात्रों के मांग को जायज ठहराते हुए चर्चित टीचर खान सर साथ प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ शामिल हुए। खान सर प्रदर्शनकारियों के समर्थन में गर्दनीबाग धरनास्थल पर पहुंचे थे। छात्रों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस को लाठी चार्ज भी करना पड़ा। अब यह खबर आ रही है कि खान सर और छात्र नेता दिलीप को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
क्यों आक्रोशित है BPSC अभ्यर्थी ?
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन नीति को लेकर छात्रों में काफी आक्रोश है। वे इस नीति को हटाने की मांग कर रहे हैं। इससे पहले एप्लीकेशन फॉर्म भरने के दौरान भी बीपीएससी के सर्वर ठप पड़ जाने के कारण कई अभ्यर्थी फॉर्म भरने से वंचित रह गए थे।
उस वक़्त बीपीएससी से अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरने कि समय सिमा बढ़ने कि मांग कि थी जिसपर बीपीएससी कि तरफ से यह कहा गया था कि अंतिम दिनों में नॉन सीरियस स्टूडेंट फॉर्म भरते हैं इसलिए फॉर्म भरने कि समय समय सीमा का एक्सटेंशन नहीं होगा। बीपीएससी के इस जबाब पर छात्र काफी आक्रोशित थे।
खान सर को हिरासत में लेने के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया
देर शाम को पटना पुलिस के खान सर और छात्र नेता दिलीप को हिरासत लेने के बाद छात्रों का गुस्सा सोशल मीडिया पर भी फुट रहा है। छात्र लगातार सोशल मीडिया पर खान सर के पक्ष में पोस्ट कर रहे हैं।
छात्रों के लिए आवाज उठाने वाले हमारे Khan Sir गिरफ्तार हुए हैं। लेकिन उनका संघर्ष यहीं नहीं रुकेगा।
Khan Sir के लिए उनके छात्रों का भविष्य ही सबसे महत्वपूर्ण है, और वे हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे।🙏#KhanSir #StudentWelfare #BPSC_NO_Normalization #BPSC_ONESHIFT_ONEPAPER pic.twitter.com/CGvMloTR4W— Khan GS and Research Centre (@khan__sir_patna) December 6, 2024
क्या है नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया ?
नॉर्मलाइजेशन एक प्रक्रिया है जिसके तहत एक से अधिक पालियों में आयोजित परीक्षाओं के अंकों को सामान्य बनाया जाता है। जब अलग-अलग पालियों में प्रश्नपत्र का कठिनाई स्तर अलग-अलग होता है, तो नॉर्मलाइजेशन के माध्यम से अंकों को संतुलित किया जाता है।
उदाहरण के लिए, अगर पहली पाली में प्रश्नपत्र अपेक्षाकृत आसान है और औसत स्कोर 140 है, जबकि दूसरी पाली में कठिन प्रश्नपत्र के कारण औसत स्कोर 120 है, तो दोनों का औसत निकालकर 130 कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया सभी अभ्यर्थियों के अंकों को एक समान मापदंड पर लाने का प्रयास करती है।
नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया पर अभ्यर्थियों का विरोध क्यों?
छात्रों का तर्क है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया सिविल सेवा जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उचित नहीं है। इस प्रकार की परीक्षाओं में एक अंक भी चयन और असफलता के बीच अंतर पैदा कर सकता है। औसत अंक की गणना से कई मेधावी अभ्यर्थियों का नुकसान हो सकता है।
अभ्यर्थी चाहते हैं कि परीक्षा केवल एक ही पाली में हो ताकि सभी को समान अवसर मिले। छात्रों का कहना है कि कठिन और आसान प्रश्नपत्रों का औसत निकालना योग्यता के आधार पर चयन को प्रभावित करता है।
BPSC का रुख
बीपीएससी (BPSC) ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि 70वीं सिविल सेवा परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन लागू नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद, इस प्रणाली के संभावित उपयोग की अटकलों ने छात्रों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया। प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग है कि परीक्षा एक पाली में हो और प्रश्नपत्र एक जैसा रहे।