महाशिवरात्रि 2025 का पर्व भगवान शिव की कृपा पाने का विशेष अवसर है। श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इस महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन को सफल बनाएं।
महाशिवरात्रि 2025 कब है? (Mahashivratri 2025)
हिंदू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में महाशिवरात्रि का त्योहार *26 फरवरी, 2025* को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विशेष महत्व रखती है।
महाशिवरात्रि 2025 (Mahashivratri 2025) पूजा शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा के लिए रात्रि में चार प्रहर का विशेष महत्व होता है। वर्ष 2025 में महाशिवरात्रि पूजा के मुहूर्त निम्नलिखित हैं:
- प्रथम प्रहर पूजा का समय:* शाम 6:45 से रात 9:45
- द्वितीय प्रहर पूजा का समय:* रात 9:45 से 12:45
- तृतीय प्रहर पूजा का समय:* रात 12:45 से 3:45
- चतुर्थ प्रहर पूजा का समय:* सुबह 3:45 से 6:45
- निशिता काल मुहूर्त:* रात 12:10 से रात 12:58
महाशिवरात्रि का पौराणिक महत्व
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव का माता पार्वती के साथ विवाह संपन्न हुआ था। यह दिन भगवान शिव की तपस्या, त्याग, और वैराग्य को गृहस्थ जीवन में परिवर्तित करने का प्रतीक है।
*शिवपुराण* के अनुसार, इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
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महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक का महत्व
रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का विशेष उपाय है। इसे शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल से किया जाता है। यह अनुष्ठान भगवान शिव के 11 रुद्र रूपों को समर्पित है।
रुद्राभिषेक के लाभ:
- जल से अभिषेक:* समृद्धि और शांति में वृद्धि।
- दही से अभिषेक:* वाहन और संपत्ति प्राप्ति।
- घी से अभिषेक:* नौकरी और व्यापार में तरक्की।
- शहद से अभिषेक:* धन वृद्धि।
- सरसों के तेल से अभिषेक:* शत्रुओं का नाश।
- दूध से अभिषेक:* संतान प्राप्ति।
महाशिवरात्रि कैसे मनाएं?
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, और फल अर्पित करें।
3. “ॐ नमः शिवाय” का जप करें।
4. दिनभर उपवास रखें और रात्रि में चार प्रहर की पूजा करें।
5. शिवपुराण का पाठ करें और रुद्राभिषेक कराएं।