माता सरस्वती को ज्ञान और विद्या की देवी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर, जिसे बसंत पंचमी कहते हैं, माता सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। इस दिन को हर साल पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रीकृष्ण ने माता सरस्वती के प्रति अपनी भक्ति और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन उनकी विधिवत पूजा की जाएगी। तभी से यह परंपरा बन गई कि हर साल बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की पूजा (Saraswati Puja) होती है । इस दिन का विशेष महत्व है और पूरे देश में इसे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। शिक्षण संस्थान, ऑफिस और अन्य कार्यस्थलों पर सरस्वती माता के पंडाल सजाए जाते हैं और उनका आभार व्यक्त किया जाता है।
बसंत पंचमी और मां सरस्वती का महत्व
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह दिन ज्ञान, कला, और शिक्षा की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का अवतरण हुआ था। इस साल बसंत पंचमी का पर्व *2 फरवरी 2025* को मनाया जाएगा। यह दिन बसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए अबूझ मुहूर्त होता है, यानी इस दिन शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती।
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त (Saraswati Puja 2025)
1. पंचमी तिथि आरंभ:* 1 फरवरी 2025, शाम 08:58 बजे
2. पंचमी तिथि समाप्त:* 2 फरवरी 2025, रात 07:10 बजे
3. सरस्वती पूजा का शुभ समय:*
सुबह: *07:01 बजे* से दोपहर तक
शुभ योग:* सुबह से लेकर शाम *07:59 बजे* तक
सरस्वती पूजा की विधि (Saraswati Puja 2025) Saraswati Puja Vidhi
1. स्नान और वस्त्र:
सुबह स्नान के बाद पीले रंग के वस्त्र पहनें। पीला रंग मां सरस्वती को प्रिय है और यह ज्ञान, ऊर्जा, और सकारात्मकता का प्रतीक है।
2. मंदिर की तैयारी:
घर के मंदिर को पीले फूलों और दीपक से सजाएं। पूजा में मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र को पीले वस्त्र में स्थापित करें।
3. पूजा सामग्री:
पूजा में हल्दी, कुमकुम, चावल, पीले फूल, कलम, दवात, पुस्तकें, शहद, खीर, हलवा, या बेसन के लड्डू का उपयोग करें।
4. पूजा प्रक्रिया:
– मां सरस्वती को हल्दी, अक्षत (चावल), पीले फूल और मिठाई अर्पित करें।
– हल्दी से अपनी पुस्तकों पर और पूजा स्थान पर ‘*एं*’ लिखें।
– वाद्य यंत्र, पुस्तकें और कलम-दवात की पूजा करें।
– बच्चों की जिह्वा पर शहद से ‘एं’ लिखें। ऐसा करने से बच्चा ज्ञानवान बनता है और शिक्षा में प्रगति करता है।
5. मां सरस्वती की स्तुति:
पूजा के दौरान मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें:
**“या कुन्देन्दु तुषार हार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता।
या वीणा वरदण्ड मण्डित करा, या श्वेत पद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकर प्रभृतिभि: देवै: सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा।।”**
6. अंत में आरती:
मां सरस्वती की आरती करें और गरीबों में अन्न, वस्त्र, किताबें आदि का दान करें।
बसंत पंचमी पर अक्षर ज्ञान की परंपरा
बसंत पंचमी का दिन अक्षर ज्ञान के लिए शुभ माना जाता है। जो लोग अपने बच्चों का अक्षर ज्ञान प्रारंभ कराना चाहते हैं, वे सुबह 07:01 बजे के बाद इस प्रक्रिया को शुरू कर सकते हैं।
1. बच्चे की जिह्वा पर शहद से ‘एं’ लिखें।
2. पूजा के बाद बच्चे को शिक्षा की शुरुआत के लिए प्रेरित करें।
बसंत पंचमी के लाभ और महत्व
– बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि, ज्ञान, और वाणी का आशीर्वाद मिलता है।
– इस दिन पीले वस्त्र पहनने और पीले पकवान का भोग लगाने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
– गरीबों को दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
बसंत पंचमी का पर्व केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है। यह दिन हमारे जीवन में ज्ञान, सद्भावना, और सकारात्मकता लाने का प्रतीक है। मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त कर हम जीवन में सफलता की ओर बढ़ सकते हैं।