1 फरवरी को लोकसभा में जब पीयूष गोयल बजट पेश करने के लिए खड़े हुए, तो उन्होंने कहा, “I Rise to Present the Interim Budget of 2019-20″। इसके बाद उन्होंने 2019-20 का अंतरिम बजट ( Interim Budget) प्रस्तुत किया।
इस बयान के साथ लोगों के मन में यह सवाल उठने लगा कि इस बार के बजट को अंतरिम बजट क्यों कहा जा रहा है? सामान्यत: जब सरकार बजट पेश करती है, तो इसे आम बजट (General Budget) कहा जाता है। आइए समझते हैं कि आम बजट और अंतरिम बजट में क्या अंतर है।
आम बजट (General Budget) और अंतरिम बजट ( Interim Budget) का अंतर
संविधान के अनुसार, केंद्र सरकार को हर वित्तीय वर्ष अपने राजस्व और व्यय का लेखा-जोखा पेश करना होता है, जिसे आम बजट कहा जाता है। लेकिन जब लोकसभा चुनाव नजदीक होते हैं और सरकार के पास सीमित समय होता है, तो पूर्ण आम बजट पेश करने की बजाय अंतरिम बजट ( Interim Budget) पेश किया जाता है। इसे साधारण भाषा में मिनी बजट भी कहते हैं।
अंतरिम बजट ( Interim Budget) की परंपरा
1948 के बाद से भारत में अंतरिम बजट पेश करने की परंपरा शुरू हुई। इसे वोट ऑन अकाउंट (Vote on Account) भी कहा जाता है। अब तक भारत में 14 बार अंतरिम बजट पेश किए जा चुके हैं।
क्या है अंतरिम बजट ( Interim Budget) या मिनी बजट?
संविधान के अनुसार, केंद्र सरकार अपने राजस्व और व्यय का लेखा-जोखा एक वर्ष के बजाय कुछ महीनों के लिए भी संसद में प्रस्तुत कर सकती है। जब यह लेखा-जोखा कुछ महीनों के लिए हो, तो इसे अंतरिम बजट कहा जाता है। इसे वोट ऑन अकाउंट और लेखानुदान मांग भी कहते हैं।
जहां आम बजट में पूरे साल का वित्तीय विवरण दिया जाता है, वहीं अंतरिम बजट कुछ महीनों तक के लिए संसद से अनुदान मांगने की प्रक्रिया है।
वोट ऑन अकाउंट (Vote on Account) लेखानुदान मांग और अंतरिम बजट में अंतर
जब केंद्र सरकार पूरे वर्ष की बजाय कुछ महीनों के लिए जरूरी खर्च की अनुमति मांगती है, तो इसे वोट ऑन अकाउंट कहते हैं।
- अंतरिम बजट में सरकार राजस्व और व्यय दोनों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करती है।
- वोट ऑन अकाउंट में केवल आवश्यक खर्चों के लिए संसद से मंजूरी मांगी जाती है।
अंतरिम बजट का ऐतिहासिक सफर
अब तक भारत में 14 बार अंतरिम बजट पेश किए गए हैं। आइए उनके बारे में जानते हैं:
- 1947: पहला अंतरिम बजट आर.के. शनमुखम चेट्टी ने पेश किया। यह बजट आजादी के बाद 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 तक के खर्चों के लिए था।
- 1952-53: सी.डी. देशमुख ने लोकसभा चुनाव से एक दिन पहले यह बजट पेश किया, जिसमें आयकर की छूट सीमा बढ़ाई गई।
- 1957-58: टी.टी. कृष्णमचारी ने आम चुनाव से पहले विदेशी मुद्रा और द्वितीय पंचवर्षीय योजना के लिए संसाधन जुटाने पर जोर दिया।
- 1962-63 और 1967-68: मोरारजी देसाई ने दो अंतरिम बजट पेश किए।
- 1971-72: वाई.बी. चव्हाण ने अर्थव्यवस्था की स्थिति का जिक्र किया और नई कर प्रणाली पर जोर दिया।
- 1977: यह बजट ऐतिहासिक था, जिसे हरीभाई एम. पाटिल ने वित्त मंत्री के बजाय पूर्व राजनयिक के तौर पर पेश किया।
- 1980-81: आर. वेंकटरमन ने इसे राजनीतिक भाषण की तरह पेश किया।
- 1991: यशवंत सिन्हा ने चंद्रशेखर सरकार गिरने के बाद अंतरिम बजट पेश किया।
- 1991-92: डॉ. मनमोहन सिंह ने अपना इकलौता अंतरिम बजट प्रस्तुत किया।
- 1998-99: यशवंत सिन्हा ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान इसे पेश किया।
- 2004-05: जसवंत सिंह ने इसे अटल बिहारी सरकार के कार्यकाल के अंत में पेश किया।
- 2008-09: प्रणब मुखर्जी ने यूपीए सरकार का पहला अंतरिम बजट पेश किया।
- 2014: पी. चिदंबरम ने अपने कार्यकाल का अंतिम अंतरिम बजट पेश किया, जिसमें कई वस्तुओं पर शुल्क घटाए गए।
- 2019-20: पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया, जिसमें किसानों और मध्यम वर्ग को राहत दी गई।
- 2024-25 : निर्मला सीतारमण
अंतरिम बजट न केवल सरकार के वित्तीय अनुशासन को दर्शाता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान आर्थिक गतिविधियां बाधित न हों। यह एक अस्थायी समाधान है, जो नई सरकार को अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार पूर्ण बजट तैयार करने का अवसर देता है।
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